SR-B339 | परिचय | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
परिचय
- स्वास्थ्य का अर्थ है अच्छा अर्थात प्रभावी कार्य करना।
- स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य समुचित क्षमता द्वारा उचित ढंग से किया जाए।
- किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसके सामाजिक, मानसिक और शारीरिक जीवन तथा आसपास के पर्यावरण पर निर्भर करता है।
- जीवो का स्वास्थ्य उनके आसपास के पर्यावरण पर निर्भर करता है।
- सामुदायिक स्वच्छता का हमारे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
निम्न बातों का ध्यान रखकर हम स्वास्थ्य रह सकते हैं:-
- हमें आसपास के जल स्त्रोतों को स्वच्छता की दृष्टि से सुरक्षित रखना चाहिए।
- खाना बनाने तथा भोजन से पूर्व हाथ धोने चाहिए।
- मल त्याग के पश्चात हाथों को अच्छे से धोना चाहिए।
- खाद्य पदार्थों को हमेशा ढक कर रखना चाहिए।
- फल तथा सब्जियों को सदैव धोकर ही प्रयोग में लेना चाहिए।
- खुले में मल त्याग नहीं करना चाहिए।
- उचित जल निकासी की व्यवस्था की जाने चाहिए।
- आसपास के स्थानों पर गंदगी नहीं फैलाना चाहिए।
- हमेशा कचरे के लिए कचरा पात्र का प्रयोग करना चाहिए।
- सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर चित्र लगाकर स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाना चाहिए।
SR-B340 | रोग | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
रोग
- रोग से तात्पर्य है, बाधित आराम या असुविधा।
- पर्याप्त पोषण ना मिलने के कारण रोग उत्पन्न होते हैं।
- हमारे शरीर के अंग तंत्र की क्रिया विधि में खराबी होना रोगों को दर्शाता है।
- जब हमारा शरीर रोगों से ग्रसित होता है तब हमारे शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं- जैसे सिर दर्द होना और खांसी होना, इत्यादि लक्षणों के आधार पर रोगों का निर्धारण किया जा सकता है।
SR-B341 | तीव्र रोग | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
तीव्र रोग
- वे रोग जिनकी अवधि कम होती है, जिन्हें तीव्र रोग कहते हैं।
- खाँसी, जुकाम और बुखार इत्यादि रोग अत्यंत कम अवधि के लिए ही होते हैं।
- इनके द्वारा हमारे शरीर पर कोई ज्यादा बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
SR-B342 | दीर्घकालिक रोग | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
दीर्घकालिक रोग
- वे रोग जिनकी की अवधि लंबी होती है, दीर्घकालिक रोग कहलाते हैं। जैसे- एलिफेंटाइसिस।
- हमारे स्वास्थ्य पर इन रोगों का लंबा प्रभाव रहता है।
- जीवन पर्यंत तक ये रोग हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
SR-B343 | रोग के कारक | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
रोग के कारक
1.संक्रामक रोग
- वे रोग जिनके तात्कालिक कारक सूक्ष्म जीव होते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं।
- सूक्ष्म जीवों की सहायता से ये रोग समुदाय मैं फैल जाते हैं। जिससे पूरा समुदाय ही संक्रमित हो जाता है।
- संक्रामक रोगों मैं आने वाले विभिन्न जीवो को निम्न 4 वर्गों में विभाजित किया गया है।
A.वायरस
- वायरस से होने वाले रोग- खासी, जुकाम, इनफ्लुएंजा, डेंगू , बुखार, तथा एड्स इत्यादि होते है।
B.बैक्टीरिया
- बैक्टीरिया द्वारा होने वाले रोग- टाइफाइड, बुखार, हैजा, क्षय रोग और एंथ्रेक्स इत्यादि होते है।
C. फ़ंजाई
- फ़ंजाई से होने वाले रोग- इससे सामान्य त्वचा संबंधी बीमारिया होती है।
D.प्रोटोजोआ
- प्रोटोजोआ द्वारा होने वाले रोग- मलेरिया और कालाजार इत्यादि है।
2.असंक्रामक रोग
- वे रोग जो संक्रामक कारकों की मदद से नहीं फेलते हैं और संक्रामक रोग कहलाते हैं।
- कैंसर एक असंक्रामक रोग हो सकता है जो अनुवांशिक और असामान्यता कारण हो सकता है
- अत्यधिक वजन के कारण रक्तचाप का बढ़ना इत्यादि असंक्रामक रोग होते हैं।
SR-B344 | एंटीबायोटिक | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
एंटीबायोटिक
- औषधि किसी भी वर्ग में एक जीव प्रक्रिया को रोकने का कार्य करती हैं।
- उदाहरण के लिए एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के जैव रासायनिक मार्गो को बंद कर देती है
- कुछ बैक्टीरिया अपनी रक्षा के लिए कोशिका भित्ति निर्मित कर लेते हैं।
- पेनिसिलियम, एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति बनाने की प्रक्रिया को बाधित कर देती है; जिसके कारण बैक्टीरिया कोशिका भित्ति नहीं बना पाते तथा यह नष्ट हो जाते हैं।
- मानव की कोशिका है कोशिका भित्ति नहीं बनात्ती, जिस कारण एंटीबायोटिक का हम पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
- एंटीबायोटिक सिर्फ बैक्टीरिया पर प्रभावी होती है, वायरस पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
SR-B345 | रोग फैलाने के साधन | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
रोग फैलाने के साधन
- सूक्ष्मजीव रोगों का विभिन्न तरीकों से रोगी से स्वस्थ मनुष्य तक पहुंचने का प्रक्रम ही संचारी रोग कहलाता है।
- रोगी व्यक्ति के छिकने पर तथा खाँसने पर उसके मुंह से छोटे-छोटे बूँदक वायु में आ जाते हैं जिससे उसके पास ही खड़ा स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है।
- यह रोग जल, वायु, व्यक्तिगत संपर्क, परोक्ष संपर्क, कीटो, मच्छरों तथा भोजन के द्वारा संक्रमण फैलाते हैं तथा स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर देते हैं।
- लैंगिक क्रियाओं द्वारा दो लोग शारीरिक रूप से एक दूसरे के संपर्क में आते हैं जिससे एड्स, सिफलिस, इत्यादि रोग हो जाते हैं।
SR-B346 | एड्स | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
एड्स
- पूरा नाम- एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम।
- फैलने का माध्यम- रक्त के लेन-देन तथा लैंगिक संपर्क और संक्रमित माता से शिशुओं में स्तनपान कराने से फैलता है।
SR-B347 | रोग वाहक | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
रोग वाहक
- वे जंतु जो रोगाणुओं को रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचा देते हैं। वे रोग वाहक (वेक्टर) कहलाते हैं।
SR-B348 | अंग विशिष्ट या उत्तक विशिष्ट | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
अंग विशिष्ट या उत्तक विशिष्ट
- नाक से आने वाले सूक्ष्म जीव फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।
- मुंह से आने वाले सूक्ष्मजीव आहार नाल को प्रभावित करते हैं। HIV वायरस लैंगिक अंगों के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है तथा लसिका ग्रंथि हो मैं फैलता है।
- मच्छरों से मच्छरों के काटने से सूक्ष्म जीव हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, उनके बाद लाल रुधिर कणिकाओं कोशिकाओं मैं आते हैं।
- एचआईवी वायरस हमारे प्रतिरक्षा तंत्र में जाकर उसके कार्य को नष्ट देते हैं, परिणामस्वरूप छोटी मोटी बीमारियो का मुकाबला हमारा शरीर नहीं कर पाता तथा हम गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं। एचआईवी एड्स के कारण रोगी की मृत्यु भी हो जाती हैं।
- हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले सूक्ष्मजीव संख्या में ज्यादा होते हैं, तो रोग की संभावना बढ़ जाती है।
- यदि सूक्ष्म जीवों की संख्या कम हो जाते हैं तो हमारा प्रतिरक्षा तंत्र इन्हें नष्ट कर देता है तथा हम बीमार होने से बच जाते हैं।
SR-B349 | उपचार के नियम | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
उपचार के नियम
- सामान्यत: संक्रामक रोगों के प्रभाव को कम करके कथा इसके कारणों को समाप्त करके इनका उपचार किया जा सकता है।
- लक्षण आधारित उपचारों से हम सूक्ष्मजीव को समाप्त नहीं कर सकते हैं, सूक्ष्म जीवों को मारने के लिए औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
- एंटीवायरल औषधि बनाना कठिन होता है जबकि एंटीबैक्टीरियल औषधि बनाना आसान होता है क्योंकि बैक्टीरिया मे अपनी जेव प्रणाली होती हैं जबकि वायरस में खुद की जैव प्रणाली नही होती है।
- वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा अपनी जीवन प्रक्रिया के लिए हमारी मशीनरी का प्रयोग करते हैं।
SR-B350 | निवारण के सिद्धांत | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
निवारण के सिद्धांत
- प्रथम बार बीमार होने पर शारीरिक कार्यों को बहुत हानि होती है हमें ठीक होने में लंबा समय लगता है।
- यदि हम संक्रमित होते हैं तो अन्य स्वास्थ्य व्यक्तियों को भी संक्रमित करने की संभावना बनी रहती है।
- रोगों से बचने के लिए हमें रोगियों से दूर रहना चाहिए।
- वायु द्वारा संक्रमण से बचने के लिए भीड़भाड़ वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिए।
- हम हमें स्वच्छ जल का प्रयोग करना चाहिए।
- आसपास के पर्यावरण को साफ रखना चाहिए
- संक्रामक रोगों से बचने के लिए हमें अपने आसपास स्वच्छता रखनी चाहिए।
- हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं से लड़ता है उन्हें मार गिराता है।
- प्रतिदिन छोटे-मोटे संक्रमण को हमारी कोशिकाएं सक्रिय होकर नष्ट कर देती है।
- रोगाणुओं की संख्या नियंत्रण में है तो रोग का प्रभाव कम दिखेगा या नहीं देखेगा।
- रोगाणुओं की संख्या अधिक है तो प्रतिरक्षा तंत्र विफल हो जाता है। रोगाणुओं अपना प्रभाव दिखाने लगते हैं।
SR-B351 | चेचक | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
चेचक
- यह रोग एक बार होने पर दूसरी बार नहीं होता है। जब रोगाणु प्रतिरक्षा तंत्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और इनका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है।
- इस प्रकार दूसरी बार वही रोगाणु या उनसे मिलता जुलता रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है तो प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुओं को पूरी शक्ति के साथ नष्ट कर देता है
SR-B352 | टीकाकरण का महत्व | हम बीमार क्यों होते हैं? | कक्षा- 09 विज्ञान (हिंदी माध्यम)
टीकाकरण का महत्व
- हमारे शरीर में विशिष्ट संक्रमण प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तंत्र को मूर्ख बना सके तथा टीके मेंउपस्थित रोगाणु वास्तव में रोग नहीं होते हैं लेकिन टीके द्वारा प्रविष्ट रोगाणुओ को प्रतिरक्षा तंत्र मारता है तथा उनकी स्मृति बना लेता है
- जिससे दूसरी बार जब वास्तविक रोगाणुओ का प्रवेश होता है तब प्रतिरक्षा तंत्र उन रोगाणु पर प्रतिक्रिया करता है तथा उन्हें नष्ट कर देता है।